
हां दिव्यांग हूं मैं
रोशनी पर निर्भर नहीं हूं
महसूस कर सकता हूं मैं
आंखों की नहीं है जरूरत
मन से ही देख सकता हूं मैं
सूर्य की पहूंच से दूर
कल्पना से परे हूं मैं
कुछ तो है दिव्य मुझमें
हां, एक दिव्यांग हूं मैं,
दौड़ भी सकता हूं मैं
पैरों की जरूरत नहीं
निर्भर नहीं हूं मैं किसी पर
हाथों का मोहताज नहीं
नेता भी हूं, अभिनेता भी हूं मैं
शास्त्रज्ञ भी, विद्वान भी
नृत्य और संगीत में माहिर
विजेता भी हूं, प्रविण भी
असीम मेरी देशभक्ति
समाज मेरी संवेदना
दुर्गुणों से दूर हूं मैं
ना किसी की आलोचना
ना कोई विकृति मनमे
दिल में है सदभावना
विकलांगता में सक्षमता
यही हैं मेरी संकल्पना
मत समझना असमर्थ मुझको
मन से या मस्तिष्क से
कुछ तो है अदभुत मुझमें
भिन्न हूं मैं अन्य से
ईश्वर का है अंग मुझमें
तभी तो मैं दिव्यांग हूं
मुझ को खुदपर गर्व है
हां, मैं एक दिव्यांग हूं।
वसंत आरबी
कर्नल वसंत बल्लेवार
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