गणेश विसर्जन पर कहीं से कोई अनाम लेखक का फारवर्ड किया गया मेसेज आया था
विसर्जन कीजिये गुस्से का,
विसर्जन कीजिये द्वेष का,
विसर्जन कीजिये लोभ का,
विसर्जन कीजिये मोह का,
विसर्जन कीजिये आलस का,
विसर्जन कीजिये चिंता का,
विसर्जन कीजिये निराशा का,
विसर्जन कीजिये किसी भी परिणाम की अत्यन्त जल्दी का,
विसर्जन कीजिये नकारात्मक विचारों का,
विसर्जन कीजिये बुरी आदतों का,
सभी विघ्न दूर होंगे......
गणपति बप्पा मोरिया।।।।।
मेरे मन से यह पंक्तियां निकलीं
मैं मेरे गणेश को शुद्ध जल में
विसर्जित करना चाहता हूं।
बिल्कुल खाली हुआं हूं
अब मैं इन दुर्गुणों से ।
अभी पिछली होली में ही
इन सभी को मैंने जलाया था।
फिर दशहरे में रावण के साथ भी
इनका दहण कराया था।
रक्षाबंधन में बहन को पूछा,
थाली में क्या डालूं?
उसने भी यहीं सूची थमाई थीं।
हर साल की आख़िरी रात भी,
इसी सूची को फ़ाड़ता हूं।
फिर पूर्णत: निर्मल शुद्ध मन से
नया साल शुरू करता हूं।
पर बस साल में एक बार,
मेरे गणेश को सिर्फ़ शुद्ध जल में
विसर्जित करना चाहता हूं।
बहुत मैला कर दिया है हम ने
पवित्र गंगा जल को।
मेरी बुराई को विसर्जित कर,
और मैला नही करना चाहता हूं।
पूरा साल पड़ा है मेरे पास
बूराईयो का सफाया करने।
पर मेरे गणेश को मैं शुद्ध जल में ही
विसर्जित करना चाहता हूं।
गणपति बाप्पा मोरया!!!
तीर के तीर
आवाहन: नदियों को स्वच्छ रखने में सहयोग दे।
विसर्जन अपने घर के प्रांगण में शुद्ध जल में करे।
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