Thursday, July 30, 2020

अब हैं मेरी जिम्मेदारी

कारगिल विजय दिवस पर मैं मेरी कविता "अब हमारी जिम्मेदारी"  पुनः:प्रेषित कर रहा हूं। जवानों के सम्मान में इसे जरूर प्रेषित करना

अब हैं मेरी जिम्मेदारी

जब से होश संभाला उसने (वीर जवान)
एक ही सपना पाला मन में
मर जाऊंगा, मिट जाऊंगा
देश की खातिर काम आऊंगा।

चुना उसने जीवन दुर्गम
रेगिस्तान पहाड़ी निर्मम
डटा रहा वीर अभिमानी
न्यौछावर कर दी पूरी जवानी

ना पिता पुत्र भाई बहन मन में
एक ही मंत्र निरंतर मन में
मर जाऊंगा मिट जाऊंगा
देश की खातिर काम आऊंगा।

बिना फिक्र खुद के जीवन की
खूब लड़ा अंतिम सांस तक
कुछ ने अपनी जान गवाई
कुछ नहीं खोया हाथ पाव तक

केसरिया की शान के खातिर
कुर्बान कर दी खुशियां सारी
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
देख रही है दुनिया सारी

इसमें खोई अपनी खुशियां
हम सबकी खुशियों के खातिर
इनकी खुशियां वापस लाना
है हमारी जिम्मेदारी

इनको फ़िर से सक्षम करना
अब हैं मेरी जिम्मदारी।।

VASANTRB
(Col Vasant Ballewar)

*Queen Mary's Technical Institute for Disabled Soldiers, Kirkee, Pune*

Transforming Disability To Capability

Appeal: Visit www.qmtiindia.org and Donate  for rehabilitation of disabled soldiers.

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