Wednesday, June 2, 2021

सपने दिखना ज़रूरी हैं

सपने देखना जरूरी है
पर सपने सिर्फ देखें नहीं
उसे हासिल करने यकीनन
पहला कदम जरूरी है

सपने कभी यूं हीं नहीं आते
कभी जीने का मकसद भी
अक्सर सपनो से ही मिलता है
कभी मन की मुराद भी
सपनो में ही पूरी हो जाती है,
खुले आसमां का आनंद भी
कभी सपना पूरा कर देता है
तो कभी पूर्ति का आभास भी
सपना ही पूरा करता है

सपने कहां से आते हैं, सपने कैसे बनते है, 
कौन इन्हे रचता है, कौन सपनो को बुनता है, 
ये गुत्थी शायद कभी सुलझेगी नही,
पर सपनो की एक बात सौ सदी सही
सपने वक्त का अहसास दे जाते है
कभी उलझन को सुलझा जाते है

सबके सपने अलग अलग
मां-बाप के सपने अलग 
भाई-बहनो के सपने अलग
यूवकों के, युवतीयों के
नेता, वकील, किसानों के
अमीरों के, गरीबों के
कवियों के, कलाकारों के
सबके सपने अलग अलग
ये है जीवन की परछाईं
कुछ के लिए यह पथदर्शक
तो कुछ की वो है प्रतिकृती
पर दे जाते हैं सपने सबको
एक लक्ष्य की अनुभूति

जिसने मानव को पंख दिए
राइट बंधूंका सपना ही था
ब्रम्हांड भ्रमन के काबिल किया
कलाम साहाब का सपना था
आजादी का सपना भी तो
लोकमान्य तिलक ने देखा था
उस सपने का पहला कदम
मंगल पांडे ने नापा था
अखंड भारत का सपना तो 
सरदार साहब ने देखा था 

सपने कभी उभरते है 
आकांक्षा की ज्वालामुखी से
तो कभी निखरते है वो
उम्मीदों के खजानों से
बस, सपने ना रह जाए सपने
उन्हे  हासिल करने, यकीनन
पहला कदम ज़रूरी हैं
पर सपने देखना ज़रूरी है।

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तीर के तीर

कर्नल डॉ वसंत बल्लेवार 'तीर'
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